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अर्पण-मद में वारे अपना, मुग्ध हृदय, अंतिम आधार;
:त्याग-तृप्ति का वह असीम सुख अविचल सह लेने देना,
:उस सौंदर्य-स्वर्ग में मुझ को क्षण भर रह लेने देना।
</poem>
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