भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदस्य वार्ता:Pratishtha

2,032 bytes added, 09:12, 9 अप्रैल 2008
--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] ०२:३३, २३ फरवरी २००८ (UTC)
 
== 26 फ़रवरी को जो आपने अज्ञेय की कविताएँ डाली थी ==
'''सवेरे उठा तो धूप खिली थी / अज्ञेय''' ये कविता कितनी नावों में कितनी बार संग्रह में '''उधार / अज्ञेय''' के नाम से मौजूद है, और मेरे हिसाब से यही इसका सही शीर्षक है, बाक़ी आप देख लीजिए। इसके अलावा आपने इन कविताओं में (या शायद आप हमेशा ऐसा करती हैं) चंद्रबिंदु के इस्तेमाल में ग़लती की है, जो कि दरअसल आपकी ग़लती न होकर छापने वालों की है। तफ़सील के लिए आप [[सदस्य:Hemendrakumarrai|यहाँ]] और [[कविता कोश में वर्तनी के मानक]] वाले पन्ने पर जाइए। वर्तनी मानक वाले पन्ने के अनुस्वार और अनुनासिक के सैक्शन में मैंने एक आपत्ति की थी, उसे शायद रिवर्ट कर दिया गया है, मैं उस नियम को वापस डालने के लिए ललित जी से बात करूँगा। ख़ैर, अफ़सोस की बात है कि ये ग़लती इतनी आम हो गई है कि इसे सही समझा जाने लगा है।
 
[[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]] --[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] ०९:१२, ९ अप्रैल २००८ (UTC)
Anonymous user