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सदस्य वार्ता:Pratishtha

1,493 bytes added, 13:27, 14 अप्रैल 2008
 
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मैंने जल्दबाज़ी में कोई कविता टाइप की, उसमें ग़लत शब्द टाँक दिए, उसके बाद उसे सही कर दिया, और ये सब थोड़ी सी कविताओं में ही। और इस ग़लती की वजह से मुझे कविताएँ जोड़ने के साथ-साथ प्रूफ़रीड का भी श्रेय दिया जा रहा तो ठीक है, मुझे कोई उज्र नहीं।
 
मैंने जो आपकी ग़लती निकाली है उसे सुधारने के लिए आपको तीव्र होने की बजाए लगन की ज़रूरत है, जिसकी आपमें कोई कमी नहीं। एक निशान को दूसरे निशान में बदलने के लिए कोई ऐसी कौन-सी ख़ास लियाकत चाहिए, पर ऐसा हज़ार बार करना पड़े, तो उसके लिए लगन चाहिए। हम सबको मिलकर इस चंद्रबिंदु को सुधारना होगा।
--[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] १३:२७, १४ अप्रैल २००८ (UTC)
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नमस्कार प्रतिष्ठा,
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