भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शिवदीन राम जोशी {{KKCatRajasthan}} <poem> राम का घ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= शिवदीन राम जोशी
{{KKCatRajasthan}}
<poem>
राम का घर है कितनी दूर।
मारग जटिल पार नहीं पावूं।
कदम कदम पे ठोकर खावूं।
हो गया दम काफूर।। राम....
जो हमको कोउ राम मिलादे।
उनके घर की राह बतादे।
वही गुण में भरपूर।। राम...
मन मेरा उन्हीं से लागे।
विरहनि जैसे निशि दिन जागे।
चित्त रहे चरण में चूर।। राम...
संत सनेही सांचे अपने।
शिवदीन देख अनुभव के सपने।
वह घर है मशहूर।। राम....
<poem>
515
edits