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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
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<Poem>
मैं सदके तेरे घुंघरुओं की सदा के
मुझे रख दिया है दीवाना बना के
नज़र से गिराया , नज़र में बसाके
मिले हैं सिले मुझको ऐसे वफ़ा के
मेरे हाल पर मुस्कुरा लीजियेगा
बहुत रोयेंगे इक दफा मुस्कुराके
अजल तू भी एहसान कर दे ख़ुदारा
बहुत हो चुके हमपे एहसाँ ख़ुदा के
वफ़ा है मुहब्बतं, मुहब्बतं ख़ुदा है
क़दम चूम लीजेगा अहले-वफ़ा के
ये शायद ग़ज़ल है 'मनु' आप ही की
सुकूँ मिल गया है ग़ज़ल गुनगुनाके</poem>
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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
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<Poem>
मैं सदके तेरे घुंघरुओं की सदा के
मुझे रख दिया है दीवाना बना के
नज़र से गिराया , नज़र में बसाके
मिले हैं सिले मुझको ऐसे वफ़ा के
मेरे हाल पर मुस्कुरा लीजियेगा
बहुत रोयेंगे इक दफा मुस्कुराके
अजल तू भी एहसान कर दे ख़ुदारा
बहुत हो चुके हमपे एहसाँ ख़ुदा के
वफ़ा है मुहब्बतं, मुहब्बतं ख़ुदा है
क़दम चूम लीजेगा अहले-वफ़ा के
ये शायद ग़ज़ल है 'मनु' आप ही की
सुकूँ मिल गया है ग़ज़ल गुनगुनाके</poem>