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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अजेय|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>(चन्द्रकान्त देवताले की कविताएँ पढ़ने के बाद)
कब तक टालते रहोगे
जहाँ जल जाता है वह सब जो तुमने ओढ़ रखा है
और जो नंगा हो जाने की जगह है
जहाँ से बच निकलने का कोई चोर -दरवाज़ा नहीं है
तुम्हें आना चाहिए
और आकाश होने के लिए भी
क्योंकि वही तो था आखिर आख़िर
जब कुछ भी नहीं था
फिर सब कुछ हुआ जहाँ