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(पाकिस्तान से लौटने के बाद )
 
इन्सान में हैवान
उठता * है दिलो-जाँ से
धुआँ दोनों तरफ़ ही
यहाँ भी है वहाँ भी |
 
 
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* देख तो दिल कि जाँ से उठता है, ये धुआँ सा कहाँ से उठता है--'मीर'
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