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{{KKRachna
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
|संग्रह=परछाईयाँ (संग्रह) / साहिर लुधियानवी
}}
<poem>
ज़िन्दगी से उन्स है, हुस्न से लगाव है
दिल अभी बुझा नहीं, रंग भर रहा हूँ मैं
ख़ाक-ए-हयात में, आज भी हूँ मुनहमिक<sup>1</sup>
फ़िक्र-ए-कायनात में ग़म अभी लुटा नहीं
हर्फ़-ए-हक़ अज़ीज़ है, ज़ुल्म नागवार है
अहद-ए-नौ से आज भी अहद उसतवार <sup>2</sup> है
मैं अभी मरा नहीं
</poem>1 मुनमहिक=संलग्न; 2 उसतवार=पुष्ट
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