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08:36, 26 फ़रवरी 2012 {{kkGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
|संग्रह=
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<poem>
कुछ ऐसा अभिशाप रहा
जीवन भर चुपचाप रहा
दोष किसी को क्या दूँ मैं
अपना दुश्मन आप रहा
माया की इस नगरी में
सबको फलता पाप रहा
पूज नहीं पाया उसको
इसका पश्चाताप रहा
पूरा गीत रहे तुम ही
मैं तो बस आलाप रहा
</poem>