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ओमप्रकाश यती

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'''ग़ज़ल'''
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* [[मान लिया वो ही जो दर्पण कहता है / ओमप्रकाश यती]]
* [[कुछ ऐसा अभिशाप रहा..../ ओमप्रकाश यती]]
* [[गाँव की समझी कभी क़ीमत नहीं .. / ओमप्रकाश यती]]
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