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हिंदी में सुदामा चरितों की परंपरा मिलती है। [[नंददास]] के सुदामाचरित के बाद [[नरोत्तमदास]] का ही लेखन इस विषय पर मिलता है। [[नंददास|नन्द दास]] का सुदामाचरित वह लोकप्रियता नहीं पा सका जो पन्द्रवहवीं सदी में 1582 संवत में [[नरोत्तमदास]] का काव्यमय सुदामाचरित पाने में सफल रहा। सुदामा चरित लिखने का सिलसिला इसके उपरांत भी जारी रहा और सुदामा चरित के यशस्वी लेखकों के रूप में [[आलम]] का नाम भी आता है जिसने संवत 1623 में सुदामा चरित लिखा। इसी कडी में राजस्थान निवासी [[शिवदीन राम जोशी]] का नाम भी लिया जाता है। संक्षेप में अब तक सुदामा चरितों की संख्या निम्न प्रकार है
 * पन्द्रहवी सदी 1582 [[नरोत्तमदास]] रचित सुदामाचरित * सोलहवीं सदी 1623 [[आलम]] रचित सुदामा चरित * 1731 [[कालीराम]] * [[माखन]] कवि रचित 18 वी शती विक्रम  * [[बालकादास]] 1890 * [[महाराजदास]] 1919* [[शिवदीन राम जोशी]] 1959
प्ंजाबी में डॉ [[मनमोहन सहगल]] ने उल्लेख किया है कि सुदामा चरित परंपरा से भिन्न अन्य कवियों ने भी सुदामा चरित्र शब्द का ही उपयोग किया है।
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