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हो रहा है लोभ का संचरण इतना
श्वेत किरणें आज मैली हो गयीं
पुत गये हेमाभ चेहरे कालिख कालिखों से,चदरें चादरें भी रंग खे खो मैली हुयी,,
नित करो तुम आचरण का वरण ऐसा,
अब किसी की जिन्दगी लूटे नहीं।
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