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चल सकूँ उस राह पाऊँ उन राहों पर भीजो सूखकर पथरा गई होजिनमें कंटक छहरे तोड़ दूँ सकूँ चट्टान को भीगड़ी हुई जो रास्ते में आ गई होगहरे
थके हुए कोहर प्यासे कोचलकर अपना मन दूँ, जीवन-जल दूँटूटे-सूखे दबे और कुचले पौधों कोहरा-भरा नव-जीवन-दल दूँ
हर विपदा में, -चिन्ता मेंसबके साथ रहूँ दहूँ मैं
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