भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}} <Poem> बयाँ म...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal‎}}
<Poem>
बयाँ मैं ये हकीकत कर रहा हूँ
मैं धीरे धीरे हर पल मर रहा हूँ

तुझे कमियाँ नज़र आतीं हैं मुझमें
मुझे लगता है मैं बेहतर रहा हूँ

ख़ुदा जाने मिलेंगी मंजिलें कब
मैं ख़ुद में हौसला तो भर रहा हूँ

नहीं अब ज़िन्दगी से कोई निस्बत
मैं आती मौत से भी डर रहा हूँ

ये बुत अब भी गवाही दे रहे हैं
मैं अपने वक़्त का आज़र रहा हूँ

'मनु' सबको बहाकर ले न जाएँ
मैं इन आँखों में आंसू भर रहा हूँ</poem>
65
edits