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'{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}} <Poem> ख़ुश्ब...' के साथ नया पन्ना बनाया
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ख़ुश्बू से महकता हुआ इक ख़त है शायरी
महसूस कीजिये तो मुहब्बत है शायरी

रिन्दों के लिए जैसे की जन्नत है मयकदा
शायर के लिए उसकी इबादत है शायरी

अश'आर की ज़मीं ही तो फिरदौस-ए-बरीं है
अपने लिए ज़मीन पे जन्नत है शायरी

एहसान मुझपे हुस्न का यूँ ही बना रहे
बस उसकी मुहब्बत की बदोलत है शायरी

वल्लाह अपनी राय मैं कैसे बयाँ करूँ
ऐ हुस्न-ए-मुजस्सिम तेरी क़ुर्बत है शायरी

मानो तो मुहब्बत का है पैग़ाम ग़ज़ल में
सोचो तो 'मनु' सिर्फ़ हक़ीक़त है शायरी</poem>
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