भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
आओ आओं हम सब मिल आपस में
एक करें यह काम,
अंधियारे के माथे पर लिख दें
तोड़ें दंभ इन्द्र का मिलकर
सबकी प्यास हरें ,
द्वेष, घृणा, कुंठा, पीड़ा, का
दिन-दिन हृास ह्रास करें ,
धरती, अम्बर, पर्वत, घाटी
सबको कर अभिराम ।
66
edits