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गौतम गाँधी के अनुयायी / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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16:17, 16 मार्च 2012
पथ चलने की
कसमें खायी हैं
पर गांडीव सुरक्षा घर की
अब भी करता है
हमने युग युग से
जग को राहें
योग कलायें भी
सिखलायी हैं
वक्त पड़े तो शंख कृष्ण का
अब भी बजता है
आंगन में
तुलसी का बिरवा
घर -घर हैं सीता
लिये गदा हनुमान द्वार
हुंकारें भरता है।
</poem>
Sheelendra
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