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गौरैया / अवनीश सिंह चौहान

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सुधिया कभी
दिखे ना कोई
आतेबुत-जाते इन बहरों से लगते चेहरों में
सहमी-सी
बात सभी ने जानी भी है
राजा-रानी,
सभी यहाँ चुप
राजा-रानी
रखकर उसको पहरों में!
</poem>
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