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बाजुओ पर दिये परवाजे़ अना दी है मुझे / ‘अना’ क़ासमी
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11:00, 10 अप्रैल 2012
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रूरू 1 रूरू
बाजुओं-पर दिये परवाजे़ ‘अना दी है मुझे
फिर ख़लाओं में नयी राह दिखा दी है मुझ
वीरेन्द्र खरे अकेला
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