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Kavita Kosh से
आप कैसे शायरों के ग़ोल में
आदमी तो आप थे अच्छे भले
टूट जाये रात का बन्दे-कबा5
सीना-ए-खुर्शीद से चादर ढले
रौशनी के इस तआकुब7 में ‘अना’
जब जले अपने ही बालो-पर जले
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1. कंधा 2. नृत्य का उन्माद 3. पड़ाव 4. धरती का बिछौना 5.’वस्त्र की गांठ 6. सूर्य का वक्षस्थल 7. पीछा करना
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