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शाम के साने से जब आंचल ढले / ‘अना’ क़ासमी
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11:45, 10 अप्रैल 2012
जब जले अपने ही बालो-पर जले
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1. कंधा 2. नृत्य का उन्माद 3. पड़ाव 4. धरती का बिछौना 5.’वस्त्र की गांठ 6. सूर्य का वक्षस्थल 7. पीछा करना
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वीरेन्द्र खरे अकेला
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