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रूठना मुझसे मगर खुद को सज़ा मत देना / ‘अना’ क़ासमी
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12:28, 10 अप्रैल 2012
{{KKRachna
|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=|संग्रह=हवाओं के साज़ पर / 'अना' क़ासमी
}}
{{KKCatGhazal}}
मेरी आँखों से मेरी नींद उड़ा मत देना
सोच लेना कोई
तावील1
तावील
मुनासिब लेकिन
इस हथेली से मिरा नाम मिटा मत देना
<poem>
वीरेन्द्र खरे अकेला
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