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|संग्रह=दुष्चक्र में सृष्टा / वीरेन डंगवाल
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इन्हीं शब्दों के साथ
शुरू की थी उसने अपनी बात
इन्हीं से ख़त्म की
इन्हीं के साथ सम्पन्न किए
सारे ज़रूरी काम
इन्हीं से चलाए ज़रूरी संघर्ष
इन्हीं से चला रहा है आजकल एन जी ओ
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