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हाइकु 21-24 / सरस्वती माथुर

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सरस्वती माथुर}}[[Category:हाइकु]]<poem>21भूली सी यादें दिल की किताब मेंपीले पन्ने -सी 22कच्चे ख्वाब- सा आता -ज़ाता मौसम धूप -छाँव- सा 23भूरी पत्तियांपतझर लायी हैपेड ठगा -सा 24झरना बहापहाड़ी पगडंडीफैला नदी सा 25प्रवासी पक्षीठंडी झील में आयेमौसम बदला26हाथ हिलाताचौखट पर सूर्यजागी चिड़िया27पीले से पातऋतु के द्वार पेरुका बसंत28झाँकते तारेनभ के कँगूरे सेटॉर्च फेंकते 29बंद मुट्ठी सेअनमने रिश्ते हैंखुलते नहीं30मेहँदी लगी साँझ- हथेली पर रंग ले आई 31तारों की रातअमावस की बेलाभीगी रजनी 32 कोयला दिन अँगीठी में सुलगाराख़ हो गया ।33खुली मुंडेरऋतु से बतियाताअमलतास34धूप -लहरेंमाणिक बरसातागुलमोहर35श्वेत चूड़ियाँभरके कलाइयाँसजी शेफाली36सूरजमुखीपौधे के झरोखे सेसूर्य निहारे37हवा में घुलगुलाब के फूल भी'खुशबू बने38मोगरे दानेचुनता हवा पाखीचोंच मारके 39उनींदा दिनसफ़ेद गुलाब से रंग ले भागा 40हवा तितलीमोगरे का रस पीगंध ले उडी 41 खोल सी गयीसूरजमुखी धूपसूर्य की आँखें 42कच्चे घड़े सेपारिजात टूटे थेपाखी से उड़े 23चाँदनी आई शेफाली को ओढ़ाईश्वेत चूनर 24सफ़ेद चोला ओढ़ हरसिंगार खिला महका-0-</poem>