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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=भाव-कलश / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:हाइकुताँका]]
<poem>
'''दु:ख न कर
मेरे पागल मन
हैं बबूल बहुत
कम यहाँ चन्दन ।'''
बस एक आसान -सा काम तुझे करना है , नफरत को विदा कर , ताकि ईद का चाँद तेरे मन-आकाश को प्रतिदिन रौशन करता रहे रहे। इस [[हाइकु|ताँका]] में ईद के चाँद का सांस्कृतिक प्रयोग देखने योग्य है -
'''ईद का चाँद
हर रोज़ बढ़े ज्यों,