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जन्म : 1 अप्रैल 1911केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं। उनका पहला काव्य-संग्रह युग की गंगा आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए यह संग्रह एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है। केदारनाथ अग्रवाल ने मार्क्सवादी दर्शन को जीवन का आधार मानकर जनसाधारण के जीवन की गहरी व व्यापक संवेदना को अपने कवियों में मुखरित किया है। कवि केदार की जनवादी लेखनी पूर्णरूपेण भारत की सोंधी मिट्टी की देन है। इसीलिए इनकी कविताओं में भारत की धरती की सुगंध और आस्था का स्वर मिलता है। केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं का अनुवाद रूसी, जर्मन, चेक और अंग्रेज़ी में हुआ है। उनके कविता-संग्रह 'फूल नहीं, रंग बोलते हैं', सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है : केदारनाथ अग्रवाल के प्रमुख कविता संग्रह है : (1) युग की गंगा, (2) फूल नहीं, रंग बोलते हैं, (3) गुलमेंहदी, (4) हे मेरी तुम!, (5) बोलेबोल अबोल, (6) जमुन जल तुम, (7) कहें केदार खरी खरी, (8) मार प्यार की थापें आदि। == केदारनाथ अग्रवाल की कविताएं रचनाएँ==
[[Category:केदारनाथ अग्रवाल]]
{{KKParichay~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*|चित्र=Kedarnath_Agarwal.jpg|नाम=केदारनाथ अग्रवाल|उपनाम=--|जन्म=01 अप्रैल 1911|जन्मस्थान=ग्राम कामासिन, जिला बाँदा, उत्तर प्रदेश|मृत्यु=22 जून 2000|कृतियाँ=युग की गंगा, फूल नहीं रंग बोलते हैं, गुलमेंहदी, हे मेरी तुम!, बोलेबोल अबोल, जमुन जल तुम, कहें केदार खरी खरी, मार प्यार की थापें आदि।|विविध=--|जीवनी=[[केदारनाथ अग्रवाल / परिचय]]}}
* [[बसंती हवा / केदारनाथ अग्रवाल]]
* [[जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है/ केदारनाथ अग्रवाल]]
* [[पहला पानी / केदारनाथ अग्रवाल]]