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15:09, 11 मई 2012 जब महल से दूर बस्ती तक सवारी जायेगी
तब किसी मासूम की नथ भी उतारी जायेगी
सिलसिला यूँ ही चलेगा ये सुबह होने तलक
और भी शायद कोई लड़की पुकारी जायेगी
हम अभी कचरा हमारा झोपड़ों पर डाल दें
फिर दिखाने को कोई कुटिया बुहारी जायेगी
देखता है कौन सीरत हर तरफ है आईने
आईनों के वास्ते सूरत निखारी जायेगी
आज वो मेहमान है अच्छी तरह ख़ातिर करें
कल हमारे हाथ से उनकी सुपारी जायेगी
आज तक समझे नहीं ये लोग दंगों के उसूल
भीड़ बेतादाद है बस भीड़ मारी जायेगी
रहनुमा हैं इसलिए ये तो सुधरने से रहे
रहनुमां के वास्ते बस्ती सुधारी जायेगी
..........प्रमोद रामावत
संपर्क- 09424097155