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Kavita Kosh से
वर्तनी सुधार
जब से सुरों को बेच ख़रीदी सुविधा
तब से ही मन में बनी हुई है दुविधा
हम भी कुछ अनगढ़ता अनगढा तराश सकते थे
दो-चार साल अगर समझौता न करते ।