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Kavita Kosh से
हवाख़ोरी को चली
तपती शाम
7
सूरज खफ़ा
काला हुआ हिरन
पानी न मिला
13
जेठ की गर्मी
बरगद के नीचे
सुस्तात्ती हवा
19
गर्मी की रात
धूल की मेहमानी
करते थके
23
पका सूरज