भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
|संग्रह=मेरे सात जनम /रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>

147
आप जो आए
मन-मरुभूमि में
बदरा छाए ।
148
हृत्-तन्त्री पर
बजा राग सुहाना
आपका आना ।
149
प्यारे हैं रूप
माँ,बेटी, बहिन
सर्दी की धूप ।
15 0
मुझे न भाया
चतुर व सयाना
मैं लौट आया ।
15 1
धर्म के खेल
धधकती आग में
डालते तेल ।
15 2
गंगा नहाए
लाखों बार फिर भी
मैल न जाए ।
<poem>