भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ }} [[Catego...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
}}
[[Category: चोका]]
<poem>
हमने लिखा-
चिड़िया उड़ो तुम
तोड़ पिंजरा
नाप लो ये गगन
छू लो क्षितिज !
पार न कर सके
लेकिन हम
अपना ही आँगन ।
लाखों बातें कीं
तोड़कर पहाड़
नदी लाने की,
तोड़ न सके कभी
जर्जर ताला
सदियों से था जड़ा
रूढ़ियों पर,
हमारी सोच पर
डरता मन ;
टूट न जाए कहीं
ये घुन-खाया
दरवाज़ा पल में
जो छुपाए है
कमज़ोर हाथों को-
उन हाथों को
जो कभी नहीं बढ़े
मुक्ति पाने को
पिंजरों में बन्द ही
लिखते रहे
सदा मुक्ति का गीत
होकर भयभीत ।
-0-
</poem>