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{{KKRachna
|रचनाकार= अंजू शर्मा
}}
<poem>
ओ नादान स्त्री,
हर आवाज़ बदलनी चाहिए उस उपजाऊ मिटटी में
जिसमें जन्मेंगी वे आवाजें जो गायेंगी हर साल
"अबके बरस भेज, भैया को बाबुल"......................
</poem>