भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बेतरतीब पड़े जूते, जूतियाँ,चप्पलें,
बदहाल जूते, जूतियाँ, और चप्पलें
घिसे, फटे ,पुराने अधिकांश
कितनी जल्दी में या ज़रूरी में रहा होगा वह
चाहे जो हो एकाएक जब मेरी नज़र पड़ी थी
घिसे ,फटे ,पुराने जूतों, जूतियों और चप्पलों पर
तो एकबारगी मैं ख़ुश हो गया था कि
झुग्गियाँ भी पीछे नहीं है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,687
edits