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'<poem>मैंने कभी शोर नहीं चाहा। हमेशा चुप रहा मैं ...' के साथ नया पन्ना बनाया
<poem>मैंने कभी शोर नहीं चाहा।
हमेशा चुप रहा मैं
फिर भी लगातार चीखा है
एक जानवर
मेरे भीतर
और न सुन पाया तुम्हारी कोई पुकार ।
1992
</poem>
हमेशा चुप रहा मैं
फिर भी लगातार चीखा है
एक जानवर
मेरे भीतर
और न सुन पाया तुम्हारी कोई पुकार ।
1992
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