भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
आने वाले दिनों में क्या होगा
कुर्बतें या कि फासला देख लेंगे, जो हौसला होगा
आज रोता है वो तो जी भर के उसको रोने दोआज वो खुद से मिलना था मिल गया लिया होगा
फूल में ताज़गी ग़ज़ब की है
जल्द ही शाख़ से जुदा होगा
 
जिंदगी तू जो हार जायेगी
मौत को इससे हौसला होगा
फूल की ताज़गी को देख कहा जल्द ही शाख़ से जुदा होगा कोई तो हमख़्याल होगा यहाँसबको दुश्मन बना लिया मैंनेकोई तो मुझ सा मुझसा भी सिरफिरा होगा
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits