==मृत्यु==
तुलसीदासजी तुलसीदास जी अब [[असीघाट]] असी-घाट पर रहने लगे। रातको रात को एक दिन [[कलियुग]] मूर्तरूप धारणकर उनके पास आया और उन्हें त्रास देने लगा। गोस्वामीजीने हनुमान्जीका गोस्वामी जी ने हनुमान जी का ध्यान किया। हुनुमान्जीने हुनुमान जी ने उन्हें [[विनय]] के पद रचनेको रचने को कहा; इसपर गोस्वामीजीने [[इस पर गोस्वामी जी ने विनय-पत्रिका]] लिखी और भगवान्के चरणोंमें भगवान के चरणों में उसे समर्पित कर दी। श्रीरामने उसपर श्रीराम ने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिये और तुलसीदासजीको तुलसीदास जी को निर्भय कर दिया।
संवत् १६८० [[श्रावण]] कृष्ण तृतीया शनिवारको गोस्वामीजीने शनिवार को गोस्वामी जी ने राम-राम कहते हुए अपना शरीर परित्याग किया।
==तुलसीदास कृत मुख्य ग्रंथ==