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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रमा द्विवेदी|संग्रह=}}{{KKCatHaiku}} <poem> १- ढोती है रात<br>मनुज की पीडाएं<br>भोर की आस |<br><br>
२- मुखौटे लगा<br>खोने को हैं बेताब<br>चैटिंग – यार |<br><br>
३- हैं अनजान<br>अडोस-पड़ोस से<br>सर्फिंग -प्यार |<br><br>
४- ऊषा मुस्काई<br>भौंरे गुनगुनाए<br>ताजगी आई |<br><br>
५- आँगन धूप<br>भागती फिर रही<br>छत-मुडेर |<br><br>
६- आसमां झुक<br>धरा से कहता ये<br>तुझ से ही मैं |<br><br/poem>
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