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शिवदीन यकिन करो न करो, रंग कारो है कारो ही श्याम बहे को |
राधिका बोलि उठी झुंझला,अब ना सखी श्याम हमारे कहे को ||
 
ओलमों न ल्यावो श्याम श्यामा समुझाय रही,
पर घर न जावो कान्ह मेरी कछु मानो जी |
बांसुरी बजाओं माखन मिश्री तुम खाओ,
रंग घर में जमाओ आपो आपनो पिछानो जी |
यशोदानन्द नन्दलाल गउवन के गोपाल लाल,
ग्वाल बाल ग्वालिनी भी मारे मोही तानो जी |
कहता शिवदीन लाल जानो सब हाल कृष्ण,
राधा कहे ठीक नहीं नित की समझानो जी |
<poem>
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