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सूर, पतित कों ठौर कहां है, सुनिए श्रीपति स्वामी॥
 
 
शब्दार्थ :- कुटिल = कपटी। विषय = सांसारिक वासनाएं।
ग्रामी सूकर =गांव का सूअर। श्रीपति = श्रीकृष्ण से आशय है।