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भावार्थ :- `हरि-भजन' ही मुक्ति का सर्वोत्कृष्ट और तत्काल फलदायक साधन है।
इसलिए `सब तज, हरि भज' ही मुख्य है।
शब्दार्थ :- आधार = भरोसा। बिधि =वेदोक्त कर्म-कांड से आशय है। ब्यौहार =क्रिया,
साधन। सुक =शुकदेव। इतौई =इतना ही। गुन =गुण-सत्व, रज और तमोगुण। जार =जाल।
भवभार =जन्म मरण के चक्र से अभिप्राय है।