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{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=इत्यलम् / अज्ञेय
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<Poem>
में प्रत्यंचा टूट गई है।
स्खलित हुआ है बाण, यदपि ध्वनि
की प्रत्यंचा टूट गई है!
'''लाहौर, 15 जून, 1935'''
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