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शरद की साँझ के पंछी / अज्ञेय
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{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=बावरा अहेरी / अज्ञेय
}}{{KKAnthologySardi}}
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लाली से में उभर चम्पई
उठा दूज का चाँद कँटीला ।
'''दिल्ली, 8 मई, 1951'''
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