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शब्द और सत्य / अज्ञेय

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इन्हें मिला दूँ—
दोनों जो हैं बन्धु, सखा, चिर सहचर मेरे।
 
'''मोती बाग, नयी दिल्ली, 15 जून, 1957'''
</poem>
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