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|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय; सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
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जली हुई छाया
मानव की साखी है।
'''दिल्ली-इलाहाबाद-कलकत्ता (रेल में), 10-12 जनवरी, 1959'''
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