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इनकैं कहे कौन डहकावे, ऐसी कौन अनारी ।<br>
अपनौं दूध छाँड़ि को पीवै, खारे कूप कौ बारी ॥<br>
ऊधौ जाहु सबारैं ह्याँ तै, बेगि गहरु जनि लावहु ।<br>
मुख मागौ पैहौ सूरज प्रभु, साहुहिं आनि दिखावहु ॥17॥ <br><br>