भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल ...' के साथ नया पन्ना बनाया
माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां

ओ मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला ....


सांकळी शेरी माँ म्हारा ससराजी मऴया,

मुने लाजू करी या ने घणी हाम रे..गोकुल मां,

हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला,

माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां

ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला ....


सांकळी शेरी माँ म्हारा जेठजी मऴया

मुने झिणु बोल्या ने घणी हाम रे.... गोकुल मां

हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला

माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली रे गोकुल मां

ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला ....


सांकळी शेरी माँ म्हारा सासुजी मऴया,

मुने पाए लाग्या ने घणी हाम रे ...गोकुल मां..

हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला,

माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली , रे गोकुल मां

ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला ....


सांकळी शेरी मां म्हारा परणयाजी मऴया,

मुने प्रीत करया नी घणी हाम रे ... ऐ गोकुल मां..

हो मोरा श्याम मुझने हरी व्हाला रे,

माथे मटुक्डी महिनी गोरी हूँ मय हारण हाली, रे गोकुल मां

ओ म्हारा श्याम मुझने हरी व्हाला ....
44
edits