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|रचनाकार=उमेश चौहान
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पैदा हुए थे तुम
बड़े ही अनाम कुल में
इस ऊबड़-खाबड़ धरातल पर पाँव जमाकर
एक सीधी-साधी चाल चलने की जद्दोज़हद में।
लछिमन! तुम्हारी आँखों ने