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Kavita Kosh से
पहाड़ को कठोर मत समझो<br>
पहाड़ को नोचने पर<br>
पहाड़ के अाँसू आँसू बह अाते आते हैं<br>
सड़कें करवट बदल<br>
चलते-चलते रुक जाती हैं<br><br>
बढ़ती-घटती रहती हैं<br><br>
अकेले पहाड़ का जमानाज़माना<br>
बीत गया<br>
अब हर ओर<br>