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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सीता-वनवा...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
सीता आँसू रोक न पायी
जब यह सुना,उसकी है प्रभु-सँग गयी बिठायी
बोली-सखी! वन में भी कम सुख !
दो-दो पुत्र खेलते सम्मुख
सोच-सोच बस स्वामी का दुख
रहती हूँ अकुलाई
'सँग न मिल सका अवधपुरी का
पर मुझ-सा सौभाग्य किसी का !
दे कर भी कलंक का टीका
पति ने सुधि न भुलायी
'बस यह दुःख न गया अंतर से
मरी न क्यों रावण के कर से
मुझे विदा करने की घर से
वह कुघड़ी क्यों आयी'
सीता आँसू रोक न पायी
जब यह सुना,उसकी है प्रभु-सँग गयी बिठायी
<poem>
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
सीता आँसू रोक न पायी
जब यह सुना,उसकी है प्रभु-सँग गयी बिठायी
बोली-सखी! वन में भी कम सुख !
दो-दो पुत्र खेलते सम्मुख
सोच-सोच बस स्वामी का दुख
रहती हूँ अकुलाई
'सँग न मिल सका अवधपुरी का
पर मुझ-सा सौभाग्य किसी का !
दे कर भी कलंक का टीका
पति ने सुधि न भुलायी
'बस यह दुःख न गया अंतर से
मरी न क्यों रावण के कर से
मुझे विदा करने की घर से
वह कुघड़ी क्यों आयी'
सीता आँसू रोक न पायी
जब यह सुना,उसकी है प्रभु-सँग गयी बिठायी
<poem>