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कठिन है परीक्षा न रहने क़सर दो,
न अन्याय के आगे तुम झुकने सर दो ।
गँवाओ न गौरव नए भाव भर दो,
हुई जाति बेपर है तुम इसको पर दो ।।
हृदय चोट खाए दबाओगे कब तक,
बने नीच यों मार खाओगे कब तक,
तुम्हीं नाज़ बेजा उठाओ कब तक,
बँधे बन्दगी यों बजाओगे कब तक ।
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